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    Vrydag 26 April 2019

    पहली मुलाकात : शानदार और प्रेरणादायक कहानी.....

    जीवन के रंग अजीब होते हैं, हर रंग से सराबोर, कभी दुख तो कभी सुख। अंजलि की जिंदगी भी ऐसी ही थी। खुशी का एक रंग मिला और वो ही रंग उसकी बर्बादी की वजह बन गया। एक ही रंग मिला था उसे जिंदगी से और वो था नितिन, और वही उसकी जिन्दगी का सबसे बड़ा गम। जो न जीने दे रहा था न मरने। डाइनिंग टेबल पर खाना परोसा रखा था। मोबाइल बज रहा था, और अंजलि बुझे मन से एक लॉकेट लिए खिड़की के पास खड़ी थी। न उसे खाने की सुध थी, न बज रहे फ़ोन की। वो मन में बुदबुदाई तुमसे बिछड़े 5 साल हो गये, और मुझे बर्बाद किये भी। तुम तो आबाद हो जिंदगी में खुश हो, कही आगे बढ़ चले, और मैं वही अटकी हूँ उस पहली मुलाकात में। और आँसूं की एक बूंद टप से लॉकेट पर गिर गई।

    वो फिर खुद से बोली, "आज ही के दिन तो मैं तुमसे पहली बार मिली थी। और वो आँखों में नमी लिए खो गयी उस याद और उस पहली मुलाकात में। उसकी जिंदगी का वो रंग सबसे मनमोहक था और सबसे दर्दनाक भी। जिंसमें अंजलि की खुशी और बर्बादी दोनों थी। वो सोचने लगी काश वो मुलाकात ही न हुई होती, तो वो यूँ बर्बाद भी न हुई होती। उसे याद आने लगा कि किस तरह हुई थी वो पहली मुलाकात। हाँ! उस दिन वो अकेली उस काफी शॉप में बैठी थी। तभी एक नौजवान आकर उसके सामने उसकी टेबल पर बैठ गया। वो लड़का उसी की उम्र का था। उसने बैठने के बाद पूछा, "क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ? वो कुछ न बोली, पर वो बोले जा रहा था। वो क्या है न, सारे टेबल भरे हैं। तो सोचा किसी के साथ टेबल शेयर कर लूँ।

    फिर इधर उधर सबको देखा। सबसे पहले वो अंकल दिखे, पर आप जानती हैं, वो अंकल बहुत गुस्से वाले है, अभी एक वेटर को झाड़ पिला दी। वो सामने आँटी बैठी हैं, वो जरूरत से ज्यादा स्वीट है, जवान लड़के भाते हैं उन्हें शायद। वो लड़का देख रही हैं आप अरे वो ब्लू शर्ट वाला, आंटी को पसंद आ गया, भाग खड़ा हुआ बेचारा, फिर एक लड़की के साथ दुबारा आया। वो उस टेबल पर वो लड़की अपने प्रेमी का इंतज़ार कर रही है, क्योंकि वो बार-बार वक़्त देखती है फिर फ़ोन मिलाती है। उस टेबल पर वो दो लोग बैठे हैं,उनका डिवोर्स होने वाला है, सामने तलाक के कागज रखे हैं। फिर आप दिखे, इन फाइलों के बीच कॉफी की शिप लेते हुए, तो सोचा यहीं बैठ जाऊँ। आपको डिस्टर्ब नहीं करूंगा, वो बोला। मगर अंजलि कुछ न बोली, चुपचाप कॉफी उठाई और पीने लगीं। उसका पहला सवाल कहाँ काम करती हैं आप?

    मेरा नाम नितिन है आपका क्या नाम है?अंजलि अब भी चुप रही। फिर थोड़ी देर चुप्पी रही। एक वेटर आया तो लड़के ने कॉफी मंगाई। कॉफी आईं। थोड़ी देर बार लड़का धीमे-धीमे टेबल बजाने लगा। बड़े सुर में बजा रहा था, साथ में चुपके-चुपके अंजलि की झुकी नज़रों को भी देख रहा था। अचानक वो "झुकी झुकी सी नज़र" गीत गुनगुनाने लगा। अंजिली समझ चुकी थी कि उसी के लिए गा रहा है, पर वो बहुत मीठा गया रहा था, तो अंजलि टोक ही नहीं पाई। अंजलि को भी म्यूजिक बहुत पसंद था, तो जब वह चुप हुआ तो अंजलि के मुँह से वाह निकल गया। धीरे- धीरे संगीत की वजह से ही सही पर बातें होने लगी। 10 मिंट बाद, दोनों हँस ही नहीं रहे थे, बल्कि दोनों एक दूजे के बारे में सब जान चुके थे। नितिन बेरोजगार था जॉब ढूंढ रहा था और अंजलि उस शहर के सबसे बड़े आफिस में काम करती थीं। शायद पहली मुलाकात में ही दोनों के दिल मिल गये थे।

    नितिन तो उसे चाहने ही लगा। अंजलि ने कहा कि वो उसी के आफिस में काम कर ले, वो सर से बात करके देखेगी,शुरू में छोटी पोस्ट कम सैलरी, फिर उसके काम के अनुरूप। शुरू से अंजलि जान गई कि नितिन चापलूस किस्म का था। पर वो जब भी उससे बात करता सामान्य हो जाता, इंसलिये अंजलि कुछ न कह पाती। अब साथ काम करने से मुलाकातें बड़ी, और वक़्त भी साथ बीतने लगा। दोनों एक दूजे के बारे में जान गये। इधर नितिन के सपने बड़े थे तो दूसरी तरफ अंजलि संतुष्ट थी। वक़्त बीता और नितिन की जॉब में तरक्की होने लगी वो उसी कंपनी में अंजलि का बॉस बन गया। सिर्फ इतना ही नहीं वह धीरे-धीरे कई शहरों के आफिस का बॉस बन चुका था, वो भी सिर्फ एक साल में। इसी एक साल में उसने अंजली से रोमांटिक सी डेट पर दिल की बात कही, जो अंजलि ने मान ली, फिर शादी के लिये कहा, वो भी अंजलि मान गई, सगाई धूमधाम से हुई।

    नितिन को अंजलि जैसी लड़की मुश्किल से मिलती या फिर कोई और स्वार्थ या फिर प्यार या आकर्षण ने ये सब करवाया था, न जाने। फिर धीरे धीरे नितिन व्यस्त रहने लगा। एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे शहर में रहने लगा, शादी की बात जब भी अंजलि करती वो ये कहकर टाल देता कि वो अभी इन सब के लिए वक़्त नहीं दे सकता, उसे और ऊँचा उठना है। धीरे-धीरे अंजलि को समझ आने लगा कि नितिन की महत्वकांक्षाएं बहुत बड़ी हैं। वो सदा से ही आसमाँ छूने की बात करता, बड़े-बड़े सपने देखता, और उन सब में अंजलि कही भी न होती थी। फिर भी नादाँ अंजलि ये समझ ही न पाती, क्योंकि वो तो नितिन से प्यार करती थी, बिना किसी स्वार्थ के। नितिन के ऊँचे सपने अब दोनों के रिश्ते के बीच आने लगे थे, तो शुरू में बहस होती, फिर झगड़े होने शुरू हो गये।

    शुरू में नितिन बाहर जाता तो कितने ही फ़ोन कर देता था, दिन भर बात करता काम करते- करते भी, फिर दिन में दो, फिर एक बार, और फिर फासला बढ़ता चला गया। और फिर बातें बन्द सिर्फ लड़ाई झगड़ा। और नितिन का एक ही जबाब वो ऑफिस में व्यस्त रहता है। एक दिन अंजलि ने सोचा की वो सब कुछ ठीक कर देगी, नितिन को बोलेगी कि वो उसके बिना नहीं रह सकती, और जैसा वो चाहेगा वैसा ही होगा। और ये सोचकर कि आज नितिन को सरप्राइज दे देती हूँ, वो उसके आफिस पहुंची। नितिन नहीं मिला, तो उसके घर आ गयी। और वहाँ नितिन को किसी और की बाहों में देखा। न जाने कब अंजलि ने नितिन को सदा के लिए खो दिया था। नितिन और उसके बीच कब दूरियां इतनी हो गई थी कि किसी तीसरे ने अपनी जगह बना ली, अंजलि को पता ही नहीं चला। नितिन को किसी ओर की बाहों में देख अंजलि पत्थर बनी रह गयी। कुछ कह भी न सकी, चुपचाप उलटे पैर वापस लौट आई।

    दो दिन बाद नितिन आया, और उसने अंजलि से कहा कि वो दोनों तो कबके अलग हो गये, एक मरे हुए रिश्ते को जिंदा करना वो छोड़ दे। वो अंजलि से नहीं खुशी से प्यार करता है, खुशी उसके बारे में सब जानती है। और उन दोनों के बीच बचा भी क्या था? बात होनी भी बन्द हो गई थी, उसने अंजलि से सवाल किया, याद है तुम्हें आखिरी बार कब बात की थी? मैं बताऊँ दो हफ्ते यानी 15 दिन पहले, तब से न तुमने बात करने की कोशिश की न मैंने, तो फिर कहाँ बचा है कुछ?मैं आगे बढ़ गया हूँ, तुम भी बढ़ जाओ, कहकर नितिन बिना अंजलि की बात सुने चला गया। और अंजलि ये भी न कह पाई की एक बार उसे बता तो देते की वो अलग हो रहे हैं। उसे यूँ जिंदगी का सबसे बड़ा जख्म देने से पहले, बता तो देते की तुमसे अब प्यार नहीं करता।

    नितिन चला गया। उसने खुशी से शादी कर ली, बाद में अंजलि को पता चला कि नितिन ने खुशी से शादी अपनी महत्वकांक्षाओं के चलते की है, खुशी उसी कम्पनी के मालिक की बेटी थी जिसमें अंजलि काम करती थी। उसे सच में गुस्सा अपने आप पर आया, कि पहली मुलाकात में वो उसके उस भोले चेहरे के पीछे छुपे उस महत्वाकांक्षी नितिन को क्यों न देख पाई? और क्यों न समझ पाई कि एक दिन वो उसे अपने सपनो के लिए छोड़ देगा? उसके बाद कई दिन कई रातें बस रोते रोते गुजर गई।ऑफिस से फ़ोन आया, तो उसने जॉब ही छोड़ दी। फिर कई दिन बाद जब खुद को संभाला तो वो शहर ही छोड़ दिया। और दूसरी जगह आकर जॉब करने लगीं। वक़्त हमेशा बीत जाता है ये वक़्त की सबसे अच्छी आदत है, तो वक़्त फिर बीत गया।

    और आज 5 साल बाद फिर नितिन से हुई वो पहली मुलाकात, उसका प्यार, उसका धोखा सब उसके जेहन में जिंदा हो गया था। यूँ तो वो भूली ही नहीं थी। और उसे ये सब उतनी ही तकलीफ दे रहे थे, जैसी तब दी थी जब उसने नितिन को किसी और के साथ देखा था। कल हुई मुलाकात की तरह वो पहली मुलाकात आज भी आँखों के सामने थी। वो मुहब्बत भी वैसी ही थी। पर आज अंजलि जानती थी कि नितिन ने बाकी सब टेबल को छोड़कर उस दिन उस पहली मुलाकात के दिन उसी की टेबल को क्यों चुना था? क्यों वो गाना गाया था? क्यों पहली मुलाकात में उसे यूँ इम्प्रेस किया था? जानते है क्यों, क्योंकि बाकी सब टेबल पर जिंदगी में किसी का साथ पाये लोग थे और अंजलि ही उस रोमांटिकता के लिए मशहूर कॉफी शॉप में आफिस की फ़ाइल खोले बैठी थी। और नितिन की महत्वकांक्षाओं ने अंजलि को अपनी पहली मुलाकात के लिए चुना था। उड़ान भरने के लिए, आसमाँ तक पहुंचाने वाली पहली सीडी का नाम अंजलि था.

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